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आजकल हर फ़ोन में Display की सुरक्षा के लिए Gorilla Glass लगा होता है, पर क्या आप जानते है Gorilla Glass कैसे बनता है यह कितना मजबुत है और इसके पीछे विज्ञान क्या है ??
आज हमलोग Gorilla Glass पर बात करेंगे और इसके बारे में विस्तारपूर्वक जानेंगे, तो आइये सबसे पहले जानते है की ये होता क्या है ?
1.संक्षिप्त विवरण
2. गोरिल्ला ग्लास की खोज कैसे हुई ?
बात 1952 की है जब CORNING कंपनी की लैब में रिसर्च चल रहा था |
एक फर्नेस (चूल्हा) में ग्लास को टेस्ट के लिए रखा गया था और किसी वजह से कोई उसपर ध्यान नहीं दिया और उस फर्नेस की तापमान 900 डिग्री सेल्सियस पहुँच चुका था और वह ग्लास पिघलने के बजाये एक नया ग्लास बन चुका था जो काफी मजबुत था !
यहीं से गोरिल्ला ग्लास का सफ़र शुरू हुआ और आज हर फ्लैगशिप स्मार्टफ़ोन या स्मार्ट डिवाइस में गोरिल्ला ग्लास लगा होता है |
इसकी खासियत क्या है आइये जानते हैं :
क्षति रोधक : गोरिल्ला ग्लास क्षति रोधक के लिए ही मशहूर है हालाँकि यह पुरी तरह से क्षति रोधक नहीं है इसमें खरोंच आते है पर और ग्लास के मुकाबले काफी कम |
विरल (पतला ): गोरिल्ला ग्लास 0.4 mm से 2 mm तक बने जा सकता है और हैरानी की बात यह है की 0.4 mm में भी यह उतना ही मजबुत रहता है |
टच स्क्रीन फ्रेंडली : गोरिल्ला ग्लास का इस्तेमाल आजकल के टच स्क्रीन जैसे डिवाइस में किया जा रहा है |
3. Gorilla Glass कितना मजबुत होता है ?
आप गोरिल्ला ग्लास का मजबुती इस बात से लगा सकते हैं की गोरिल्ला ग्लास 5 जो 1.6 m की ऊंचाई से गिरकर भी टूटता नहीं है |
यह अटूट नहीं है परन्तु काफी मजबूत है ,और लगातार इसे और बेहतर बनाने की कोशिश की जा रही है |
आप कोर्निंग की टेस्टिंग यहाँ देख सकते हैं |
4. कैसे बनता है गोरिल्ला ग्लास ?
गोरिल्ला ग्लास बनाने का तरीका बड़ा ही आसान है और इसे कोर्निंग के लैब में बनाया जाता है तो आइये इसे 2 आसान स्टेप्स में समझते है :
Fusion प्रोसेस : यह प्रोसेस गोरिल्ला ग्लास को सतह की गुणवत्ता, ऑप्टिकल स्पष्टता और निहित आयामी स्थिरता प्रदान करता है |
यह प्रक्रिया कच्चे माल से शुरू होता है जिसे पिघलाकर एक “isopipe” में डाला जाता है जब तक की दोनों तरफ से ग्लास बहने न लगे,फिर यह धीरे धीरे ग्लास शीट में कन्वर्ट किया जाता है ताकि इसे microns में नापा जा सके और इस दौरान यह किसी भी चीज से अछूता रहता है और यह फिर अगले प्रोसेस के लिए तैयार है |
ISOPIPE |
ION-EXCHANGE प्रोसेस : आयन एक्सचेंज एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसमे बड़े आयन को कांच की सतह पे जमा किया जाता है जिससे दबाव पैदा होता है,फिर ग्लास को 400 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर पिघला हुआ नमक के टब में डुबाया जाता है |
छोटे सोडियम आयन कांच को छोड देता है और उसके जगह पोटैशियम ले लेता है, और जब यह ठंडा होता है तो काफी दबाव बनाता है और इस कारण यह टूटता नहीं है |
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Isopipe |
तो अब तक आप इसके पीछे विज्ञान को जान गए होंगे अब बात करते है की यह कितने प्रकार का होता है |
5. गोरिल्ला ग्लास कितने प्रकार के है ?
सबसे पहला गोरिल्ला ग्लास 2008 में बनाया गया था और धीरे धीरे इसके नए संस्करण आने लगे |
- Gorilla Glass 2 – 2012
- Gorilla Glass 3 – 2013
- Gorilla Glass 4 – 2014
- Gorilla Glass 5 – 2016
- Gorilla Glass SR+ – 2016
- Gorilla Glass 6 – July 2018
Note :- गोरिल्ला ग्लास SR+ का इस्तेमाल स्मार्ट वाचेज में करने के लिए बनाया गया है |
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6. Gorilla Glass रीसायकल हो सकता है की नहीं ?
गोरिल्ला ग्लास भले ही मजबुत हो परन्तु आखिर में तो ग्लास ही है इसीलिए इसको आसानी से रीसायकल किया जा सकता है |
दुसरे ग्लास के मुकाबले इससे प्रकृति को हानी भी नहीं पहुँचता है |
7. Antimicrobial गोरिल्ला ग्लास क्या होता है ?
8. गोरिल्ला ग्लास कौन बनाता है ?
गोरिल्ला ग्लास Corning Inc नामक कंपनी के द्वारा बनाया जाता है जो एक अमेरिकन कंपनी है जिसका स्थापना 1851 Corning Glass Works के नाम से की गयी थी और बाद में
9. गोरिल्ला ग्लास का इस्तेमाल कौन कौन करते हैं ?
10. गोरिल्ला ग्लास कहाँ से ख़रीदे ?
11. Gorilla Glass के अलावा दुसरा विकल्प क्या है ?
सारांश
उम्मीद है की आपको गोरिल्ला ग्लास के बारे में अच्छे से समझ में आया होगा, यदि आपको अभी भी कोई परेशानी हो तो निचे कमेंट करके बताएं |
ऐसा बिलकुल भी नहीं है की गोरिल्ला ग्लास को बनाने के लिए गोरिल्ला को क्षति पहुँचाया जाये 😆
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